एक्ट में स्पष्ट उल्लेखित सिविल सेवा नियम पालनीय होंगे महाकाल मंदिर प्रबंध समिति में सेवानिवृत्ति आयु 70 वर्ष…! -मंदिर के एक्ट में प्रशासक को छोड अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति समिति के अधीन

उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति में काम करने वाले कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 70 वर्ष है और यहां के प्रशासक की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष। खास बात यह है कि मंदिर के एक्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि सिविल सेवा के नियम पालनीय हैं। सिविल सेवा नियमों के अनुसार सेवानिवृत्ति की आयु62 वर्ष है। इसके विपरित मंदिर प्रबंध समिति में ऐसे कई कर्मचारी है जिनकी उम्र 70 वर्ष होने को आई है। मंदिर समिति को हुई एक शिकायत के बाद यह मामला सामने आ रहा है।

महाकाल मन्दिर में करीब दो दर्जन ऐसे कर्मचारी काम कर रहें हैं जिनकी उम्र 70 वर्ष होने को आई ह ओर मन्दिर प्रबंध समिति इन्हें बकायदा वेतन भुगतान कर रही है। इसे वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में देखा जा रहा है। उपविधि में स्पष्ट उल्लेख की सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लिए म.प्र. सिविल सेवा नियम सभी के लिए पालनीय होंगे तो मन्दिर एक्ट विरूद्ध मन्दिर समिति के पूर्व अधिकारियों ने एक नये एक्ट का ही सृजन कर दिया है। उपविधि के अनुसार मन्दिर में सीधी भर्ती से आये है उनको 60 वर्ष की उम्र में सेवा निवृत्त किया जाना चाहिए। सिविल सेवा नियमों के परिवर्तन स्थिति में यह उम्र 62 वर्ष मान्य हो सकती है। इसके अतिरिक्त जो अन्य किसी विभाग से सेवा निवृत्त होकर आये है उनको 65 वर्ष की उम्र तक ही रखा जा सकता है।

 मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक कहते हैं कि सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष है। समिति को इसका अधिकार है कि वह किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति आयु 70 वर्ष कर सकती है। समिति का अनुमोदन रहा होगा ऐसे मामले में। फिर भी एक बार इसमें एक्ट एवं प्रावधानों को देखा जाएगा।

क्या कहता है एक्ट-

श्री महाकालेश्वर मन्दिर एक्ट 1982 में स्पष्ट उल्लेख है कि मन्दिर में सिविल सेवा नियम पालनीय है। ऐसे में सिविल सेवा नियम के अनुसार सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष कुछ वर्ष पूर्व की गई है। पूर्व में यह 60 वर्ष थी। श्री महाकालेश्वर मन्दिर एक्ट बिन्दु क्रमांक 17 (1 एवं 2) में स्पष्ट उल्लेख है कि प्रशासक को छोड़कर कर समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियुक्तियाँ समिति द्वारा की जायेगी एवं कर्मचारियों के सेवा निबंधन ऐसे होंगे जैसा की उपविधि में उल्लेखित हो। उपविधि में स्पष्ट उल्लेख है कि 65 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति मन्दिर में नौकरी ही नही कर सकता है भले ही वह सीधी भर्ती से आया हो या शासकीय सेवानिवृत्त होने के उपरान्त आया हो। वर्तमान में समिति में 70 वर्ष की उम्र तक नौकरी की जा रही है। इसे लेकर समिति का कोई अनुमोदन भी नहीं बताया जा रहा है।

अधिकतम 5 वर्ष सेवा-

उपविधि के बिन्दु क्रमांक 15 के 1 में स्पष्ट लिखा है कि “कार्यालयीन कार्य हेतु तथा श्री महाकाल धर्मशाला, प्रवचन भवन, विश्रामधाम तथा वाचनालय का प्रबंधन व्यवस्था हेतु कर्मचारी एवं अधिकारियों की नियुक्ति उनके कार्यानुभव के आधार पर किसी शासकीय अथवा अर्द्ध शासकीय कार्यालयों से सेवा निवृत्त व्यक्तियों में से या अत्यन्त उपयुक्त होने पर सीधी भरती से जो हिन्दु धर्म का मानने वाला हो तथा जिसकी आयु 65 वर्ष से अधिक न हो, उस आयु की अवधि को प्राप्त करने तक की अवधि तक के लिए प्रशासक द्वारा समिति की अनुशंसा पर की जावेगी” तथा उपविधि में स्पष्ट उल्लेख है कि सेवानिवृत्त व्यक्ति भी अधिकतम 5 वर्ष ही मन्दिर में अपनी सेवा दे सकता है।

एक्ट निर्माण के समय 60 वर्ष थी सेवानिवृत्ति आयु-

जिस समय एक्ट का निर्माण हुआ था उस समय शासकीय विभागों में 60 वर्ष तक सेवा निवृत्त की अवधि होती थी। मन्दिर में 60 वर्ष की आयु को बाले बाले ही 70 कर दिया ओर सेवा निवृत्त व्यक्तियों को मात्र 65 वर्ष की अवधि तक की सेवा देना चाहिए किन्तु वर्तमान में ऐसे कई अधिकारी है जो 65 वर्ष आयु  प्राप्त करने के उपरान्त भी सेवा दे रहे हैं।

सीधी भर्ती एवं अन्य सेवानिवृत्त 22 कर्मी-

मंदिर प्रबंध समिति में हाल की स्थिति में अधिकारी से लेकर छोटे कर्मचारी तक करीब 22 कर्मचारी 65 वर्ष से अधिक की उम्र होने के उपरांत भी समिति में काम करते हुए वेतन प्राप्त कर रहे हैं। इनमें शासकीय सेवा से प्रथम श्रेणी अधिकारी से सेवानिवृत्‍ हुए एवं मंदिर समिति के सीधी भर्ती के विभिन्न श्रेणी के  अधिकारी कर्मचारी शामिल हैं। इनमें 1956 में जन्म से लेकर 1964 के जन्म वाले कर्मचारी शामिल हैं।

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